Hindi Explanation of Gayatri Mantra । गायत्री मंत्र की हिंदी व्याख्या

गायत्री मंत्र की हिंदी व्याख्या

गायत्री मंत्र अर्थ सहित:

 

ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ॥

गायत्री मंत्र प्रतिदिन जपने पर व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है । वाचन में आसान यह ऐसा मंत्र है, जिससे आत्म शुद्धि भी होती है । आइए जानते हैं गायत्री मंत्र के अर्थ को-

गायत्री मंत्र का अर्थ:

 
से तात्पर्य सर्वशक्तिमान भगवान का सबसे बड़ा आदिवाचक नाम प्रणव है । प्रणव त्रिगुणात्मक है । इसमें सृष्टिकर्ता ब्रह्मा, सृष्टिपालक विष्णु और मुक्तिदाता शिव विद्यमान हैं । ॐ का उच्चारण करने से, ‘अ’ कार में मन का उत्थान होता है । ‘उ’ कार मन को गति देता है तथा अर्ध ‘म’ कार में मन लय होता है । यानी ॐ में रज, सत् और तब तीनों गुण है ।

भूर्भुवः स्वः के तीन आधार हैं । ‘भू’ यानी पृथ्वी, ‘भुवः’ यहां से ऊपर की स्थिति, ‘स्वः’ यानी भुवः से ऊपर की स्थिति यानी जहां तक सृष्टि क्रम का बुद्धि द्वारा विचार हो सके, वहां तक का विश्व ।

तत्सवितुर्वरेण्यं यानी उस तेजोमय सूर्य के आनंद से भरे ।

भर्गो देवस्य धीमहि अर्थात अनंत व्यापक देवता के तेज का मैं ध्यान करता हूं ।

धियो यो न: प्रचोदयात् से तात्पर्य है जो मेरी बुद्धि को प्रेरणा दे ।

परोरजसे सावदोम अर्थात जो रजोगुण के परे है अर्थात कभी पैदा नहीं होता । परंतु जैसे ‘अ’ कार शब्द ब्रह्म है, वैसे ही वह सारे विश्व में व्याप्त है ।
‘प्रचोदयात्’ क्रिया है, जिसका कर्ता ‘भर्गः’ अर्थात तेज है । प्रत्यक्ष देवता ‘सविता’ का तेज ही ‘धियः’ अर्थात अंतःकरण चतुष्टय को उन्नत करता है ।

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